सूचना अधिकार सम्बन्ध में बैठक का आयोजन

सूचना अधिकार सम्बन्ध में बैठक का आयोजन


सूचना अधिकार अधिनियम के सफल क्रियान्वयन और आम जनता के साथ-साथ सरकारी विभागों में भी जागरूकता लाने के उद्देश्य से सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान का संचालन डा0 डी0 के0 सिंह और डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर द्वारा किया जा रहा है। इस अभियान में देश के सात राज्यों से लोग जुड़े हैं जो सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर लगातार सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। इस सम्बन्ध में और जानकारी देने के लिए आज दिनांक 19 जनवरी को सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के निदेशक डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के आवास पर इस अभियान के सदस्यों की नियमित बैठक का आयोजन किया गया।

सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के संयोजक डा0 डी0 के0 सिंह ने कहा कि वर्तमान में सूचना के अधिकार अधिनियम का सही ढंग से उपयोग नहीं हो पा रहा है। जो लोग कहते हैं कि इस अधिनियम का दुरुपयोग होने का खतरा है, उनको शायद जानकारी नहीं है कि अभी इस अधिनियम का उपयोग ही नहीं हो सका है तो उसके दुरुपयोग की कोई सम्भावना ही नहीं। अभी तो लोगों में इस अधिकार के प्रति जागरूकता ही नहीं आई है। आवश्यकता इस अधिनियम के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी देने की है। डा0 डी0 के0 सिंह ने आगे कहा कि ऐसा नहीं है कि सरकार द्वारा यह अधिनियम मात्र दिखावे के लिए बनाया गया है। इस कानून के द्वारा आम आदमी को अपने अधिकार के प्रति सचेत होने का अवसर दिया गया है, उसे बस इसके उपयोग करने की ओर ध्यान देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि सूचना माँगते समय हमेशा यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि हमें कौन सी सूचना माँगनी है? ऐसी सूचनाओं के माँगने पर अधिक समय नष्ट नहीं करना चाहिए जिनका हमारे लिए कोई अर्थ नहीं हो। अच्छा हो कि कम से कम और सार्थक सूचनाओं को माँगा जाये।

अभियान में सक्रिय रूप से जुड़े सुभाष चन्द्रा ने कहा कि अभी भी आम आदमी अपने अधिकारों को जानने-समझने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहा है। वह प्रत्येक कार्य के लिए नेताओं की तलाश में भटकता रहता है। जहाँ कहीं काम नहीं होता है वहाँ वह पैसे का अथवा दलाल का सहारा लेता है। इससे उसके समय और धन दोनों का अपव्यय होता है। आम आदमी को चाहिए कि वह इस अधिनियम का भरपूर इस्तेमाल करे। इससे शासन व्यवस्था में लगे भ्रष्ट लोगों को भी सबक मिल रहा है। सूचना माँगने के प्रति जागरूकता आने से जनता के धन का दुरुपयोग होंना रुक सकता है। अभी तक तो अधिकारी और अन्य विभागों के कर्मचारी जनता के धन को स्वयं का धन समझते थे और किसी भी तरह की जानकारी देने से साफ तौर पर मना कर देते थे पर अब ऐसा नहीं है। अब तो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को भी सूचना अधिकार के दायरे में लाने के बाद से लगता है कि आम आदमी मे इस अधिनियम के प्रति और अधिक विश्वास कायम होगा।

अभियान के निदेशक और आज की बैठक की अध्यक्षता कर रहे डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि अगले एक-दो माह के अन्दर ही सभी सदस्यों को बुला कर एक कार्यक्रम करवाया जाना है उससे पहले सम्पूर्ण जिले में सभी विभागों, विद्यालयों, महाविद्यालयों और अन्य सरकारी संस्थानों से सूचना अधिकार अधिनियम से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करना है। इन जानकारियों में प्रत्येक विभाग के जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम और फोन नं0 प्राप्त करना है। अभी तक शासन की कड़ाई के बाद भी इतनी जागरूकता भी नहीं आई है कि विभागों में अपने सूचना अधिकारी, जन सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी का नाम कार्यालयों में अंकित करवा सकें। डा0 सेंगर ने विस्तार से आगे बताया कि मात्र दस रुपये ने आम आदमी को बहुत ताकत दी है। इस ताकत का प्रयोग अपने हक के लिए करना होगा। किसी भी अधिकारी को सूचना प्राप्ति का आवेदन लेने से मना करने का अधिकार इस अधिनियम में नहीं दिया गया है। किसी भी सूचना को 30 दिनों के अन्दर देना ही देना है। ऐसा न करने पर उसके विरुद्ध प्रथम अपीलीय अधिकारी को अपील करनी होती है। यदि यहाँ से भी सूचना नहीं मिलतीहै तो सूचना आयोग इसकी सुनवाई करता है। यह सिद्ध होने पर कि सम्बन्धित व्यक्ति ने जानबूझ कर सूचना नहीं दी तो उस अधिकारी को 20 हजार रुपये की सजा तक का प्रावधान है।

एक अन्य सदस्य डा0 ममता ने कहा कि सूचना अधिकार के सम्बन्ध में जानकारी न होने से भी विभिन्न कार्यालय इस सम्बन्ध में गुमराह कर देते हैं। किसी भी अधिकारी को यह पता करने का अधिकार नहीं है कि सुचना माँगने वाला कौन है, वह क्यों सूचना माँग रहा है? अधिनियम के बारे में जानकारी के अभाव में आम आदमी भी इसका उपयोग करने से डरता है। बैठक में अन्य लोगों में डा0 विपिन, डा0 प्रवीन जादौन, राकेश सचान, नीलेश सिंह, दिव्या, अर्चना गुप्ता, अखिलेश सिंह, अखिलेश शर्मा, लोकेन्द्र सिंह आदि उपस्थित रहे।

कोई टिप्पणी नहीं: