रंगमंच संस्कृतियों को एकबद्ध करने के साथ-साथ शिक्षा भी देता है - राज पप्पन

विश्व रंगमंच दिवस पर विचार गोष्ठी
दिनांक - 27 मार्च 2010
स्थान - इकरा क्लासेस, उरई (जालौन)
आयोजक - प्रगतिशील लेखक संघ, उरई
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विश्व रंगमंच दिवस पर 27 मार्च 2010
को प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा इकरा क्लासेज, उरई में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा इस गोष्ठी को रंगमंचीय सहयोग वार्ता का नाम दिया गया।

इस अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव राजपप्पन ने रंगमंच दिवस पर कब, क्यों, कैसे बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ थियेटर यूनेस्को, पेरिस में 1949 में दुनिया के रंगमंच को एकजुटता बनाने की दिशा में पहल की गई। 60 के दशक में ब्रिटिश अभिनेत्री डैकयूरी डेंच का संदेश थियेटर वालों के लिए इस आवाहन के साथ प्रसारित किया गया कि रंगमंच मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणा का भी स्त्रोत है। रंगमंच दुनिया की विविध संस्कृतियों को एकबद्ध करने के साथ ही शिक्षा देने का प्रयास करता है।

उन्होंने आगे बताया कि आज और पूर्व में भी नाटकों का आयोजन सिर्फ पारम्परिक मंचों से ही नहीं होता रहा है। अफ्रीका के छोटे से गाँवों में, अरमीनिया के पहाड़ों पर, प्रशान्त महासागर के नन्हे से टापू पर भी इस तरह के आयोजन किये जाते रहे हैं।

प्रवक्ता एवं रंगकर्मी धर्मेन्द्र ने कहा कि रंगमंचीय जीवन पर्यावरण को भी संरक्षित और सुरक्षित करने का कार्य करता है। इसके द्वारा अनपढ़ आदमी को भी अपने आसपास के बारे में जानकारी दी जा सकती है, उसे जागरूक किया जा सकता है।

सुदर्शन बाथम ने कहा कि रंगमंच में आ रही जागरूकता को दूर करने की आवश्यकता है। इस जागरूकता की कमी के कारण से ही आज आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृति क्षेत्रों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है।

कार्यक्रम के अन्त में इकरा क्लासेज के मणीन्द्र ने सभी का आभार व्यक्त किया।

प्राक्तन छात्र मंच, डी0 वी0 सी0 का वार्षिक समारोह सम्पन्न


प्राक्तन छात्र मंच, डी वी कालेज, उरई का वार्षिक समारोह सम्पन्न
दिनांक - 21 मार्च 2010
स्थान - डी वी कालेज लाइब्रेरी सभागार, उरई
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प्राक्तन छात्र मंच, दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई का आज दिनांक 21 मार्च 2010 को सातवाँ वार्षिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई के पुस्तकालय सभागार में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के पूर्व छात्र श्री गंगाचरण राजपूत, श्री श्रीरामपाल, श्री बृजलाल खाबरी (तीनों सांसद राज्यसभा) उपस्थित हुए।


कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय राजनीति विज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज की प्रवक्ता डॉ0 नगमा खानम ने करवाया।

(परिचय करातीं डॉ नगमा खानम)
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इसके बाद सभी सदस्यों ने आपस में परिचय का आदान-प्रदान किया।

परिचयात्मक कार्यक्रम के बाद मंच के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र कुमार पुरवार की ओर से कुछ संविधान संशोधन विचारार्थ प्रस्तुत किये गये। इन संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर पारित किया। इनमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के लिए पाँच पुराने सदस्यों का अनुमोदन और पाँच नये सदस्यों का समर्थन अनिवार्य किया गया। शेष पदों के लिए इस प्रकार की बाध्यता को तीन-तीन सदस्यों के रूप में रखा गया।

(संविधान संशोधन रखते डॉ राजेन्द्र कुमार पुरवार)
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इन संशोधनों के मध्य मंच के सदस्यों की आपसी गतिविधियों की जानकारी के लिए और विचार विनिमय के लिए एक समाचार-पत्र के प्रकाशन का भी सुझाव रखा गया, इसे भी सभी सदस्यों ने स्वीकार किया।

वार्षिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि श्री अर्जुन सिंह चाँद ने कविता पाठ किया।

(कवि श्री अर्जुन सिंह चाँद)
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सदन को सम्बोधित करने वालों में उ0प्र0 राजनीति विज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार रहे।

(उ0प्र0 राजनीति विज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार)
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मुख्य अतिथियों में तीनों राज्यसभा सदस्यों ने महाविद्यालय के अपने अध्ययन काल को याद किया और अपने संस्मरणों को सभी के समक्ष रखा।

(गंगाचरण राजपूत, सांसद, राज्यसभा)
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(श्रीराम पाल, सांसद राज्यसभा)
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(बृजलाल खाब्री, सांसद, राज्य सभा)
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मंचासीन रहने वालों में मंच के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र कुमार पुरवार, श्री गंगाचरण राजपूत, श्री श्रीरामपाल, श्री बृजलाल खाबरी, श्रीमती कौशल्या देवी वर्मा, डॉ0 जयश्री पुरवार, डॉ0 रेनू चन्द्रा एवं कार्यक्रम के संचालक श्री युद्धवीर कंथरिया थे।

(मंचासीन अतिथि)
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कार्यक्रम में प्रो0 जी0आर0आटले, अयोध्याप्रसाद कुमुद, सत्यपाल शर्मा, यूसुफ इश्तियाक, मिर्जा साबिर बेग, डॉ0 आर0के0 पहारिया, डॉ0 राजेश पालीवाल, डॉ0 अतुल बुधौलिया, डॉ0 ममता स्वर्णकार, डॉ0 नीता गुप्ता, प्रकाशवीर तिवारी, रणविजय सिंह, हरेन्द्र विक्रम सिंह, डॉ0 नईम बॉबी, राशिद, लक्ष्मण चौरसिया, डॉ0 लखनलाल पाल, सुरजीत सिंह, रविकान्त, सुभाष चन्द्रा, कल्पना द्विवेदी, सीता खरे, ब्रजबिहारी गुप्ता, लक्ष्मणदास बबानी, महेन्द्र दाऊ, शशिकान्त द्विवेदी, ब्रजभूषण सिंह मुन्नू, यज्ञदत्त त्रिपाठी आदि सहित सैकड़ों सदस्य उपस्थित थे।

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(सुरुचि भोज का आनंद लेते सदस्य और अतिथि)
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सतत जागरूकता लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक - डॉ0 आदित्य कुमार

लोकतान्त्रिक व्यवस्था और पर्यावरण पर विचार गोष्ठी
दिनांक - 14-03-2010 स्थान - जालौन
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‘‘लोकतान्त्रिक व्यवस्था किसी भी देश, समाज के सफल संचालन के लिए आवश्यक होती है। इस व्यवस्था में जन-जन को अपनी विचारभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होने के साथ-साथ शासन-सत्ता के कार्यों का आकलन करने की भी क्षमता होती है। लोकतान्त्रिक प्रणाली के सफल संचालन के लिए आवश्यक है कि किसी भी देश अथवा समाज के नागरिक अपने आपको पूर्णतः जागरूक बनाये रखें।’’ ये विचार सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय, गुढ़ा, जालौन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 आदित्य कुमार, अध्यक्ष राजनीतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई ने व्यक्त किये। उ0प्र0 राजनीतिविज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने ‘भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था’ विषय के अन्तर्गत संविधान, लोकतन्त्र आदि की जानकारी देते हुए कहा कि आजादी के बाद देश को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए ही एक संवैधानिक व्यवस्था का निर्माण किया गया था, उसी व्यवस्था के आधार पर सरकार का, सत्ता का संचालन होता है। लोकतान्त्रिक प्रणाली सभी को समान अवसर देते हुए सभी के विचारों का सम्मान करती है। इस संवैधानिक का दुरुपयोग होने के कारण वर्तमान में युवा पीढ़ी राजनीति को स्वार्थपूर्ति और धन-बल, बाहु-बल के रूप में स्वीकारने लगी है, जो गलत है। डॉ0 आदित्य कुमार ने संविधान में वर्णित नागरिकों के मूल कर्तव्यों को, मौलिक अधिकारों को समझाते हुए कहा कि अधिकार और कर्तव्य हमें कार्य करने की स्वतन्त्रता तो देते ही हैं साथ ही देशहित में कार्य करने के प्रति भी जागरूक करते हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के नागरिक होने के नाते हमारा भी दायित्व बनता है कि हम समूचे विश्व के सामने अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को विफल होने से बचायें। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संवैधानिक जागरूकता सम्बन्धी जानकारियों का आदान-प्रदान कर उनके सविधान सम्बन्धी ज्ञान को और विस्तार दिया।
गोष्ठी के दूसरे सत्र में ‘पर्यावरण में युवाओं की भूमिका’ विषय पर वनस्पतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई के डॉ0 आर0 के0 पहारिया ने कहा कि भौतिकतावादी संस्कृति का पोषण करने के कारण हम अपन आसपास के वातावरण को जाने अनजाने खतरे में डाल रहे हैं। हमें इस बात की जानकारी भी होती है कि हमारा एक गलत कदम हमारे पर्यावरण को संकट में डाल सकता है, इसके बाद भी हम स्वयं को इससे रोकते नहीं हैं। छात्र-छात्राओं को पर्यावरण की आवश्यकता के बारे में बताते हुए डॉ0 पहारिया ने आगे बताया कि आज हम देख रहे हैं कि मौसम में एकाएक परिवर्तन आने लगते हैं। गरमी, सरदी और बारिश अब अनियमित होने लगी है। इसका प्रभाव कृषि पर, हमारे खाद्य पदार्थों पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही मनुष्यों और जानवरों पर भी इसका प्रभाव नकारात्मक रूप से पड़ रहा है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि हम अपने घरों में, आसपास में हरे-भरे पेड़-पौधों को लगायें और उनका संरक्षण करें।
इस गोष्ठी में डॉ0 आदित्य कुमार ने पर्यावरण जागरूकता को लेकर एक प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने ध्वनिमत से समर्थन प्रदान किया। उनका कहना था कि हम किसी भी कार्यक्रम में, किसी भी उत्सव में उपहार में एक पौधा लगा हुआ गमला देने की परम्परा को शुरू करें। इससे लोगों में पेड़-पौधों के प्रति लगाव बढ़ेगा और उसकी देखभाल के प्रति भी लोग जागरूक होंगे।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 अभयकरन सक्सेना ने कहा कि आज का समय किसी एक विषय पर अटके रहने का नहीं है। हमारा प्रयास हो कि हम अपने आसपास की दैनिक गतिविधियों पर भी ध्यान रखें। किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए जितना आवश्यक पर्यावरण का स्वच्छ रहना है उतना ही आवयक है कि राजनैतिक वातावरण भी स्वच्छ रहे। इन दोनों की स्वच्छता के लिए हमारा जागरूक होना आवश्यक है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कोई कदम इन दोनों क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र को हानि न पहुँचाये।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय की प्रबन्धकारिणी के अध्यक्ष और आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री नितिन मित्तल ने कहा कि यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज दो-दो महत्वपूर्ण विषयों पर हमारे छात्र-छात्राओं को तथा हम सभी को जानकारी मिली। ज्ञान-विज्ञान के वर्तमान युग में हमें अपने अधिकारों की, कर्तव्यों की जानकारी अवश्य ही होनी चाहिए। यह सभी को ज्ञात होना चाहिए कि संविधान ने हमें कौन-कौन सी सुविधाएँ प्रदान कर रखीं हैं, हम कैसे अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करें। साथ ही हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारे किसी भी कदम से पर्यावरण को संकट न पहुँचे। कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्ष नितिन मित्तल ने डॉ0 आदित्य कुमार तथा डॉ0 आर0के0 पहारिया को स्मृति भेंट देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों में अनुज श्रीवास्तव-उप-प्रधानाचार्य, डा0 गणेशानन्द, डा0 सीता जड़िया, डा0 राकेश पाठक, प्रो0 अवनीश द्विवेदी, श्रीकृष्ण कोष्ठा, प्रियंका अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, स्वाति कौशल, अपर्णा सक्सेना, सौरभ गुप्ता, आचार्यजी, अरविन्द द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेश सिंह ने किया।