मानवाधिकार दिवस पर डी वी कॉलेज में संगोष्ठी संपन्न

विश्व मानवाधिकार दिवस पर गोष्ठी संपन्न
स्थान- दयानंद वैदिक महाविद्यालय परिसर, उरई जालौन
आयोजक- राजनीति विज्ञान परिषद्
दिनांक - 10-12-2010
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विश्व मानवाधिकार दिवस पर दिनांक 10 दिसम्बर को दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई के राजनीतिक विज्ञान परिषद् के तत्वावधान में मानवाधिकारों की दशा एवं दिशा विषय पर एक परिचर्चा सम्पन्न हुई। जिसमें महाविद्यालय के अनेक प्राध्यापकों तथा छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।


मुख्य वक्ता सुभाष चंद्रा
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गोष्ठी
का शुभारम्भ करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष चन्द्रा ने ब्रिटेन में सन् 1215 के मैग्नाकार्टा को मानवाधिकार अवधारणा का बीज बताया जिसे फ्रांसीसी और अमेरिकी क्रान्तियों के सिद्धान्तों से बल मिला। इसी के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद लोकतान्त्रिक विश्व व्यवस्था में संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में इन सिद्धान्तों को शामिल किया गया। इस तरह से 10 दिसम्बर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वजनिक घोषणा की गई। मानववाधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्ति के जीवन और संरक्षण के लिए अनिवार्य हैं।

संगोष्ठी
के मुख्य अतिथि एवं डी0वी0 कालेज के प्राचार्य डॉ0 अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि मानवाधिकारों का संरक्षण सभ्य समाज की आवश्यक शर्त है पर इसके लिए ऐसे सामाजिक पर्यावरण का निर्माण राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर करना होगा जिसमें लोग स्वार्थ से हटकर अपने दायित्वों पर ध्यान दे सकें।

डी
0वी0कालेज, उरई के हिन्दी विभाग के प्रवक्ता डॉ0 राजेश चन्द्र पाण्डेय ने मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को आवश्यक बताया। गांधी महाविद्यालय, उरई के हिन्दी विभाग के प्रवक्ता डॉ0 कुमारेन्द्र ने कहा कि आज हम राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वार्थों के आधार पर ही मानवाधिकारों को परिभाषित करते हैं।

बाएं से -- शारदा अग्रवाल, नीलम मुकेश, अलका रानी पुरवार
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डी0वी0 कालेज, उरई की अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ0 अलका पुरवार ने अधिकार और कर्तव्यों को पूरक बताया। डी0वी0 कालेज, उरई की हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ0 नीलम मुकेश ने कहा कि मानवाधिकारों की बात तो होती है किन्तु संरक्षण में हम अपनी भागीदारी की बात नहीं करते हैं। डीवी कालेज की इतिहास विभागाध्यक्ष डॉ0 शारदा अग्रवाल ने मानवाधिकारों के निर्धारण में व्यक्तियों की भूमिका पर जोर दिया।

डी
0वी0 कालेज के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने कहा कि मानवाधिकारों की अवधारणा दो विश्व युद्धों के भीषण जनविनाश के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई विश्व जनचेतना के भारी दवाब का परिणाम था। जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा मानव अधिकारों की घोषणा के रूप में अभिव्यक्ति मिली। विकसित देशों की दोहरी नीति वर्तमान में इसके मार्ग में सबसे बड़ी बाधा बन रही है।

बोलते हुए आदित्य कुमार, दाहिने बैठे हुए प्राचार्य अनिल कुमार श्रीवास्तव
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अंग्रेजी विभाग के रीडर डॉ0 मदनबाबू चतुर्वेदी ने कहा कि मानवाधिकारों का संरक्षण वे व्यक्ति कर सकते हैं जो स्वार्थ से हटकर समाज व मानवीयता के हित में सोचते हैं। डीवी कालेज के हिन्दी विभाग के प्रवक्ता डॉ0 रामप्रताप सिंह सामाजिक कुरीतियों धार्मिक आडम्बर तथा राज्य की निरंकुशता को सबसे बड़ी बाधा बताया।

डॉ
0 राममुरारी चिरवारिया ने मानवाधिकारों के संरक्षण में बुद्धिजीवियों की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किये। डॉ0 रविकान्त का मानना था कि मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए समाज की मानसिकता में सुधार लाना आवश्यक है। आकांक्षा सक्सेना ने कहा कि आज मानवाधिकारों की चर्चा करना पब्लिटी स्टंट के रूप में दिखता है, उसमें किसी तरह की गम्भीरता नहीं दिखती है।

गोष्ठी में डॉ0 नीरज बादल, देवेन्द्र, आकांक्षा, शाहीन अख्तर, राबिया खातून, अनिल मिश्रा ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संचालन रविकान्त ने किया।

सूचना का अधिकार अधिनियम के पांच वर्ष -- उरई में विचार गोष्ठी

सूचना अधिकार अधिनियम के पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर दिनांक 12 अक्टूबर 2010 को अनुरागिनी संस्था एवं सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के संयोजक डॉ0 डी0 के0 सिंह के द्वारा एक विचार गोष्ठी का आयोजन स्थानीय सिटी सेंटर में किया गया।


गोष्ठी का शुभारम्भ डॉ0 डी0 के0 सिंह द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम से आम आदमी को सरकारी तथा निजी विभागों, कार्यालयों की प्रणाली को देखने-समझने का अवसर मिला है। अधिनियम के कारण व्यक्ति को भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोलने में आसानी हो गई है। प्रदेश में ही नहीं अपितु पूरे देश में बहुत से भ्रष्टाचारों का खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के कारण सम्भव हुआ है। देखा जाये तो यह अधिनियम आज आम आदमी की ताकत बन कर सामने आया है।

समाजसेवी
एवं सूचना का अधिकार अधिनियम का सकारात्मक रूप से प्रयोग करने वाले रिपुदमन सिंह ने कहा कि आर0टी0आई से न्याय पाने का रास्ता सुलभ हुआ है पर इससे कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ा है। इसके पीछे सरकारी तन्त्र का भ्रष्टाचार और कारगुजारियों का उजागर होना रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि आरटीआई को लेकर कार्य करने वालों को सतर्क और सक्रिय रहना होगा।

डी
0 वी0 कालेज, उरई के प्रभारी जनसूचना अधिकारी डॉ0 आदित्य कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार वास्तव में बहुत ही अच्छा अधिकार है और इसके द्वारा आम आदमी को वे सारी बातें ज्ञात होने लगीं हैं जो उसे कभी बताई भी नहीं जाती थीं। इस अच्छाई के साथ एक बुराई भी इसके द्वारा आ रही है। बहुत से लोग सूचना अधिकार का दुरुपयोग करने में लगे हैं। वे सूचनाओं की प्राप्ति को केवल आपसी द्वेष के लिए प्रयोग कर रहे हैं। इससे भी जनसूचना अधिकारियों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है।


सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के निदेशक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर का कहना था कि सूचना के अधिकार के आने से आम आदमी को भी सरकारी तन्त्र और निजी कार्यालयों की कार्यप्रणाली को जानने-समझने का अवसर मिल गया है। वह अब केवल दस रुपये के शुल्क के द्वारा अपने काम की सूचनाओं को प्राप्त कर सकता है। सूचनाओं को प्राप्त करते समय इस बात का विशेष रूप से रखा जाये कि सूचनाओं को क्यों और किस कारण से मांगा जाना है, इससे सही सूचनाओं को प्राप्त करने में आसानी होगी।

अनुरागिनी
के संयोजक डॉ0 प्रवीण सिंह जादौन ने कहा कि सरकारी तन्त्र हो अथवा निजी संगठन सभी सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में आते हैं। यह कोई आवश्यक नहीं कि वे ही निजी संगठन जो सरकारी अनुदान लेते हैं, सूचना अधिकार के दायरे में आते हैं। इसके दायरे में वे भी निजी संगठन आते हैं जो किसी न किसी शासकीय नियमानुसार बने हैं।


वृक्षबंधु के नाम से प्रसिद्ध जे0 पी0 गुप्ता ने अपने अनुभवों को बताते हुए इस अधिनियम की महत्ता को बताया और इस बात पर जोर दिया कि सभी जन सूचना अधिकारियों को किसी वर्कशॉप के माध्यम से प्रशिक्षित करवाया जाये क्यों कि बहुत से अधिकरियों को अभी इस बारे में सही-सही जानकारी ही नहीं है। इसके लिए उन्होंने एक प्रस्ताव पास कर अधिकारियों के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।

गोष्ठी
में डॉ0 वीरेन्द्र सिंह यादव, भूपेन्द्र टॉनी, सुभाष चन्द्रा, डॉ0 रामप्रताप सिंह, विजय चौधरी, राजेन्द्र कुलश्रेष्ठ, डॉ0 अनुज भदौरिया, डॉ0 सुनीता गुप्ता, आनन्द, गिरीश, अमित, मोहित, सलिल तिवारी आदि मौजूद रहे।

इग्नू अध्ययन केंद्र, उरई -- बी०पी०पी० छात्रों की काउंसलिंग संपन्न

बी पी पी छात्रों की काउंसलिंग संपन्न
दिनांक - 14-10-2010
स्थान - अनुरागिनी केम्पस, उरई
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इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्विद्यालय इग्नू के स्थानीय अनुरागिनी कैम्पस स्थित विशेष अध्ययन केन्द्र 27157 डी में आज बी0पी0पी0 छात्रों की काउंसलिंग कक्षाएं सम्पन्न हुईं। बी0पी0पी0 के छात्रों को आज दिनांक 14 अक्टूबर 2010 को समाज विज्ञान एवं गणित विषय की काउंसलिंग की गई।



समाज
विज्ञान में काउंसलिंग हेतु स्थानीय दयानन्द वैदिक स्नातकोत्तर महाविद्यालय के रक्षा अध्ययन विभाग के डॉ0 दुर्गेश कुमार सिंह विशेष अध्ययन केन्द्र 27157 डी में उपस्थित हुए। उन्होंने छात्रों को राजनीतिक व्यवस्था, भारतीय संसद और भारतीय राजनीतिक दलों के बारे में समझाया। छात्रों ने भी अपनी समस्याओं को उनके सामने रखकर उनका समाधान पूछा। छात्रों ने वर्तमान में चल रहे पंचायती चुनावों और उनकी कार्यप्रणाली के बारे में भी सवाल किये।


समाज विज्ञान में डॉ0 दुर्गेश कुमार सिंह द्वारा छात्रों की काउंसलिंग करने के अलावा गणित विषय में काउंसलिंग डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने की। डॉ0 सेंगर ने छात्रों को प्रारम्भिक गणित और उनके सवालों को हल करने के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने छात्रों की गणित विषय की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान प्रस्तुत किया।

इग्नू
विशेष अध्ययन केन्द्र 27157 डी के समन्वयक प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि उनके केन्द्र में पंजीकृत छात्रों को निश्चित समयावधि में विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के द्वारा काउंसलिंग कर उनकी समस्याओं को सुनकर उनका समाधान किया जाता है। इसी क्रम में आज दिनांक 14 अक्टूबर 2010 को बी0पी0पी0 छात्रों की काउंसलिंग डॉ0 दुर्गेश कुमार सिंह द्वारा समाजविज्ञान की और डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर द्वारा गणित विषय में की गई। बी0पी0पी0 में कुल सात काउंसलिंग की जानी हैं। इनके बारे में छात्रों को लिखित रूप से सूचित किया जाता है।



काउंसलिंग
के लिए उपस्थित छात्रों में आज मोना, ज्योति, राघवेन्द्र सैनी, सुनील गुप्ता, रत्नेश गुप्ता, संजय सिंह पाल, संजय कुमार मिश्रा, सोमेला सिद्दीकी, प्रमोद जाटव आदि उपस्थित रहे।

समन्वयक
प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि सभी छात्रों को अगली काउंसलिंग की तारीख लिखित रूप में जल्द ही दी जायेगी जिससे समय से उनकी समस्त काउंसलिंग कक्षाएं पूर्ण हो सकें।

सूचना का अधिकार पर विचार गोष्ठी एवं कार्यकर्ता की हत्या पर शोक

सूचना का अधिकार पर विचार गोष्ठी एवं कार्यकर्ता की हत्या पर शोक
दिनांक - २१-०८-२०१०
स्थान - उरई (जालौन)
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सामाजिक कार्यकर्ता तथा सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के निदेशक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर के आवास पर एक बैठक का आयोजन किया गया। इसमें नगर के प्रबुद्धजनों तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता कर रहे डीवीसी के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने कहा कि सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार को उजागर करने और समाप्त करने का बहुत ही सटीक रास्ता है। समाज को खोखला कर रहा भ्रष्ट तन्त्र इस अधिनियम के कारण भयभीत है। बड़े-छोटे घोटालों को उजागर करने के कारण आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं को धमकाया जा रहा है, उनको प्रताड़ित भी किया जा रहा है, यहाँ तक कि माफियाओं के द्वारा उनकी हत्या भी कर दी जा रही है। अभी हाल में गुजरात में आर0टी0आई कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या इसी का उदाहरण है। डॉ0 आदित्य कुमार ने आगे कहा कि इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। ऐसा वे लोग कर रहे हैं जो किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार के दलदल में फँसे हैं और व्यवस्था को सही राह पर नहीं लाना चाहते हैं। सूचना का अधिकार का सकारात्मक प्रयोग आज नहीं तो कल समाज में से भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।

सूचना अधिकार का राष्ट्रीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ0 डी0के0 सिंह ने सूचना का अधिकार की क्रियाविधि को बताते हुए जन-जन को इससे परिचित करवाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका कहना था कि इस अधिनियम से भ्रष्टाचारियों की पोल खुलना शुरू हो गई है। अब किसी भी सूचना को अपने पद ही हनक के चलते दबाया नहीं जा सकता है। आम आदमी को इस बात को बताने और समझाने की आवश्यकता है। यदि समाज के सभी लोग सकारात्मक रूप से अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए इस अधिनियम के द्वारा सरकारी तन्त्र के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहे तो समाज के भ्रष्टजनों के सुधरने में ज्यादा दिन नहीं लगेंगे। उन्होंने आगे कहा कि सूचना का अधिकार की व्यापक पहुँच बनाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम करवाये जाने की जरूरत है। यहाँ ध्यातव्य रहे कि डॉ0 डी0के0सिंह ने लगभग 175 आवेदनों के द्वारा कई विभागों के भ्रष्टाचार को उजागर कर भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को समाज के सामने लाने का कार्य किया है।

सामाजिक संस्था अनुरागिनी के डॉ0 प्रवीण सिंह जादौन का कहना था कि इस अधिनियम के बनने के लगभग पाँच वर्ष के बाद भी अधिकारियों के, जनता के मध्य इस अधिनियम की ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। इस कारण से सभी लोग अपनी-अपनी तरह की परिभाषाएँ गढ़ते रहते हैं। सूचना का अधिकार के बारे में इस अनभिज्ञता ने अधिकारियों को अभी भी निरंकुश सा कर रखा है। जो जागरूक लोग हैं उनके द्वारा लगातार कार्य करने से समाज में एक सार्थक दिशा दिखाई देनी शुरू हुई है।

डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने अधिनियम पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके दायरे में सरकारी संस्थाएँ, वे गैर-सरकारी संस्थाएँ जो शासन से अनुदान ले रहीं हैं तो आतीं ही हैं। इसके साथ ही उन संस्थाओं को भी इसके दायरे में शामिल किया गया है जो किसी न किसी रूप में शासन द्वारा मान्यता प्राप्त हैं, भले ही वे शासन से किसी तरह का अनुदान न ले रहीं हों। समाज का एक बहुत बड़ा हिस्सा सूचना के अधिकार के दायरे में सिमटता है और कार्य करने वालों के द्वारा भ्रष्टाचारियों को समस्या उत्पन्न होने लगी है। इस भय के कारण ही माफिया आर0टी0आई0 कार्यकर्ताओं को धमकाने, मारने का काम करने लगे हैं। अमित जेठवा ने भू माफियाओं को बेनकाब किया तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।

समाजसेवी संगठन दीपशिखा के शिवराम ने कहा कि शीघ्र ही जनपद के जिलाधिकारी महोदय को एक ज्ञापन सौंपा जायेगा जिसके द्वारा शासन-प्रशासन स्तर पर आर0टी0आई0 कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने की माँग की जायेगी। जिले में भ्रष्टाचार को उजागर करने में सूचना अधिकार कारगर रूप से काम कर रहा है और इसके चलते किसी कार्यकर्ता को हम लोग समाज से खोना नहीं चाहते हैं। उन्होंने आगे बताया कि डॉ0 डी0के0 सिंह और डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर निपसिड, लखनऊ की ओर से आयोजित सूचना का अधिकार सुग्राह्यता पाठ्यक्रम को पूर्ण कर प्रशिक्षित होकर लौटे हैं। शीघ्र ही संस्था की ओर से जिले में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर सरकारी, गैर-सरकारी विभागों, विद्यालयों, महाविद्यालयों, स्वयंसेवी संगठनों, प्रबन्धसमितियों के पदाधिकारियों को सूचना का अधिकार अधिनियम के बारे में जानकारी देते हुए जागरूक करने का कार्य किया जायेगा।

बैठक के अन्त में कार्यकर्ता अमित जेठवा को श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन रखा गया। बैठक में संदीप कुमार, देवेन्द्र सिंह, राकेश सिंह, आशीष गुप्ता, लखन श्रीवास्तव आदि भी उपस्थित रहे।

जन्मतिथि पर राजनीति विज्ञान विभाग ने याद किया राजीव गाँधी को


दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई के राजनीतिक विज्ञान विभाग में नियमित विचार गोष्ठियों का आयोजन होता रहता है। दिनांक-20 अगस्त 2010 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 श्री राजीव गाँधी के जन्मदिवस पर विभाग में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

गोष्ठी की अध्यक्षता रक्षा अध्ययन विभाग के रीडर डॉ0 आर0 के0 निगम ने की। उन्होंने कहा कि राजीव गाँधी देश के विकास के लिए लगातार सचेत रहे। यही कारण है कि उन्होंने अपने सत्ता सँभालते ही देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का काम किया। कम्प्यूटर का आना, तकनीक का विकास, उदारीकरण का सफल प्रयोग उस युवा सोच के कारण ही सम्भव हो सकी जिसका नाम राजीव गाँधी था। देश की रक्षा के लिए खरीदी गईं बोफोर्स तोपों के नाम पर राजीव गाँधी को देश में बहुत अपमान सहना पड़ा किन्तु कारगिल के युद्ध में उनकी यही तोपें ही सर्वाधिक रूप से सफल रहीं।

राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार का कहना था कि राजीव गाँधी आकर्षक व्यक्तित्व के साथ-साथ आकर्षक स्वभाव के भी मालिक थे। इसी कारण से विश्व समुदाय के भीतर उनकी छवि भरोसेमन्द शासक की थी। यही कारण है कि समूचा विश्व समुदाय उनके व्यक्तित्व और कार्यों पर विश्वास कर भारत को भी महत्व देने में आगे-आगे रहा। देश की समूची राजनैतिक व्यवस्था पर निगाह दौड़ाने पर उनके जैसा सरल और स्पष्टवादी नेता हमें दिखाई नहीं देता है। किसी प्रधानमंत्री का अपनी गलतियाँ बताना ही सिद्ध करता है कि वह देश के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। राजीव गाँधी भले ही किसी मजबूरी के कारण राजनीति में आये हों किन्तु उन्होंने अपने कार्यों और अपने निर्णयों के द्वारा समूचे विश्व को दिखा दिया कि उनके भीतर भी नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी है।

राजनीति विज्ञान के ही सुभाष चन्द्रा ने कहा कि राजीव गाँधी का व्यक्तित्व अपने आपमें बहुत ही ज्यादा आकर्षक था। उनके देहान्त के बाद लगा कि देश ने एक विराट व्यक्तित्व के साथ-साथ सौम्य स्वभाव वाला शासक भी खो दिया है, जिसकी नेतृत्व क्षमता के साथ भारत को विश्वयात्रा के लिए जाना था।

राजनीति विज्ञान की प्रवक्ता डॉ0 नगमा खानम ने राजीव गाँधी के गुणों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने युवाओं को जागरूक करने के लिए ही देशहित की बात की। अत्याधुनिक तकनीक जो भी हम आज अपने आसपास देख रहे हैं उनको हमारे बीच लाने का श्रेय राजीव गाँधी को ही है। उनकी निष्पक्ष और खुली सोच ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाना शुरू किया था और तभी वे हमारे बीच से चले गये। यकीनन उनके जैसा शासक हाल के वर्षों की राजनीति में दिखाई भी नहीं देता है।

स्पंदन के सम्पादक डॉ0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने राजीव गाँधी के साथ बीते कुछ पलों को याद करते हुए सबके बीच रखा और उनके सौम्य स्वभाव और सरल व्यक्तित्व का चित्र प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यदि उनके गुणों का एक प्रतिशत भी आज के नेता धारण कर लें तो राजनीति में आ रही गंदगी को आसानी से दूर किया जा सकता है। स्वार्थ की राजनीति से बहुत दूर रह कर राजीव जी ने देश को विकास के रास्ते पर ले जाने का प्रयास किया और इसमें कोई शक नहीं कि यदि उनको दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने का अवसर मिल जाता तो वह देश का स्वर्णिम काल होता।

राजनीतिविज्ञान विभाग में प्रवक्ता के रूप में कार्य कर रहे डॉ0 राममुरारी चिरवारिया ने कहा कि राजीव गाँधी युवा थे और उन्होंने युवाओं को ध्यान में रखकर मतदान की आयु 18 वर्ष करने का निर्णय लिया था। उस समय उनके इस निर्णय की काफी आलोचना की गई थी किन्तु बाद में सभी ने उनके इस कदम की सराहना भी की थी। इसके अलावा देशहित में उनके कई कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता है।

विभाग के ही रविकान्त ने बताया कि राजीव गाँधी ने अपने आपको कभी भी आम आदमी से अलग हटकर नहीं देखा। उन्होंने योजनओं का क्रियान्वयन हमेशा समाज के अन्तिम व्यक्ति को ध्यान में रखकर करने की सलाह दी। उनकी यह सोच सिद्ध करती है कि सौम्य मुस्कुराहट के पीछे एक सकारात्मक सोच भी काम करती थी।

राजनीति विज्ञान के शोधार्थी रणविजय ने राजीव गाँधी के उदारीकरण के प्रयासों की चर्चा करते हुए बताया कि उनके प्रयासों से मुक्त बाजार की अवधारणा देश में काम कर पाई और विश्व स्तर की कई कम्पनियों ने देश में आना शुरू किया। उदारीकरण के प्रभाववश ही हमें विश्व स्तर के उत्पाद आसानी से उपलब्ध होने लगे।

राजनीति विज्ञान के विद्यार्थी रवि मिश्रा ने कहा कि राजीव गाँधी यकीनन बहुत अच्छे नेताओं में से रहे किन्तु उनके व्यक्तित्व पर भी बोफोर्स कांड का दाग दिखाई देता है। उदारीकरण के साथ ही मँहगाई का आना भी उनकी राजनैतिक दूरदर्शिता को दर्शाता है। हो सकता है इसके पीछे उनका मजबूरी में राजनीति में आना रहा हो।

विचार गोष्ठी के अन्त में विभागाध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने सभी आगन्तुकों और वक्ताओं का आभार व्यक्त किया।

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चित्र साभार गूगल छवियों से लिया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल "मेनिफेस्टो" के लिए शोध-पत्र आमंत्रित

द्विभाषिक/Bilingual ======== UPMUL00576/24/1/2008-TC
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डॉ0 आदित्य कुमार
अध्यक्ष राजनीतिविज्ञान विभाग
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CHIEF EDITOR
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सम्पादक
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14) मेनीफेस्टो का प्रकाशन अक्टूबर 2010 में किया जाना सुनिश्चित हुआ है। कृपया शोधपत्र यथासम्भव 30 अगस्त 2010 तक भेज दें जिससे मेनीफेस्टो का प्रकाशन समय से हो सके।

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रंगमंच संस्कृतियों को एकबद्ध करने के साथ-साथ शिक्षा भी देता है - राज पप्पन

विश्व रंगमंच दिवस पर विचार गोष्ठी
दिनांक - 27 मार्च 2010
स्थान - इकरा क्लासेस, उरई (जालौन)
आयोजक - प्रगतिशील लेखक संघ, उरई
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विश्व रंगमंच दिवस पर 27 मार्च 2010
को प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा इकरा क्लासेज, उरई में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा इस गोष्ठी को रंगमंचीय सहयोग वार्ता का नाम दिया गया।

इस अवसर पर प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव राजपप्पन ने रंगमंच दिवस पर कब, क्यों, कैसे बिन्दुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ थियेटर यूनेस्को, पेरिस में 1949 में दुनिया के रंगमंच को एकजुटता बनाने की दिशा में पहल की गई। 60 के दशक में ब्रिटिश अभिनेत्री डैकयूरी डेंच का संदेश थियेटर वालों के लिए इस आवाहन के साथ प्रसारित किया गया कि रंगमंच मनोरंजन के साथ-साथ प्रेरणा का भी स्त्रोत है। रंगमंच दुनिया की विविध संस्कृतियों को एकबद्ध करने के साथ ही शिक्षा देने का प्रयास करता है।

उन्होंने आगे बताया कि आज और पूर्व में भी नाटकों का आयोजन सिर्फ पारम्परिक मंचों से ही नहीं होता रहा है। अफ्रीका के छोटे से गाँवों में, अरमीनिया के पहाड़ों पर, प्रशान्त महासागर के नन्हे से टापू पर भी इस तरह के आयोजन किये जाते रहे हैं।

प्रवक्ता एवं रंगकर्मी धर्मेन्द्र ने कहा कि रंगमंचीय जीवन पर्यावरण को भी संरक्षित और सुरक्षित करने का कार्य करता है। इसके द्वारा अनपढ़ आदमी को भी अपने आसपास के बारे में जानकारी दी जा सकती है, उसे जागरूक किया जा सकता है।

सुदर्शन बाथम ने कहा कि रंगमंच में आ रही जागरूकता को दूर करने की आवश्यकता है। इस जागरूकता की कमी के कारण से ही आज आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृति क्षेत्रों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिल रही है।

कार्यक्रम के अन्त में इकरा क्लासेज के मणीन्द्र ने सभी का आभार व्यक्त किया।

प्राक्तन छात्र मंच, डी0 वी0 सी0 का वार्षिक समारोह सम्पन्न


प्राक्तन छात्र मंच, डी वी कालेज, उरई का वार्षिक समारोह सम्पन्न
दिनांक - 21 मार्च 2010
स्थान - डी वी कालेज लाइब्रेरी सभागार, उरई
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प्राक्तन छात्र मंच, दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई का आज दिनांक 21 मार्च 2010 को सातवाँ वार्षिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दयानन्द वैदिक महाविद्यालय, उरई के पुस्तकालय सभागार में सम्पन्न हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय के पूर्व छात्र श्री गंगाचरण राजपूत, श्री श्रीरामपाल, श्री बृजलाल खाबरी (तीनों सांसद राज्यसभा) उपस्थित हुए।


कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय राजनीति विज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज की प्रवक्ता डॉ0 नगमा खानम ने करवाया।

(परिचय करातीं डॉ नगमा खानम)
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इसके बाद सभी सदस्यों ने आपस में परिचय का आदान-प्रदान किया।

परिचयात्मक कार्यक्रम के बाद मंच के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र कुमार पुरवार की ओर से कुछ संविधान संशोधन विचारार्थ प्रस्तुत किये गये। इन संशोधनों को सदन ने ध्वनिमत से स्वीकार कर पारित किया। इनमें अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के लिए पाँच पुराने सदस्यों का अनुमोदन और पाँच नये सदस्यों का समर्थन अनिवार्य किया गया। शेष पदों के लिए इस प्रकार की बाध्यता को तीन-तीन सदस्यों के रूप में रखा गया।

(संविधान संशोधन रखते डॉ राजेन्द्र कुमार पुरवार)
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इन संशोधनों के मध्य मंच के सदस्यों की आपसी गतिविधियों की जानकारी के लिए और विचार विनिमय के लिए एक समाचार-पत्र के प्रकाशन का भी सुझाव रखा गया, इसे भी सभी सदस्यों ने स्वीकार किया।

वार्षिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि श्री अर्जुन सिंह चाँद ने कविता पाठ किया।

(कवि श्री अर्जुन सिंह चाँद)
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सदन को सम्बोधित करने वालों में उ0प्र0 राजनीति विज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार रहे।

(उ0प्र0 राजनीति विज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार)
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मुख्य अतिथियों में तीनों राज्यसभा सदस्यों ने महाविद्यालय के अपने अध्ययन काल को याद किया और अपने संस्मरणों को सभी के समक्ष रखा।

(गंगाचरण राजपूत, सांसद, राज्यसभा)
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(श्रीराम पाल, सांसद राज्यसभा)
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(बृजलाल खाब्री, सांसद, राज्य सभा)
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मंचासीन रहने वालों में मंच के अध्यक्ष डॉ0 राजेन्द्र कुमार पुरवार, श्री गंगाचरण राजपूत, श्री श्रीरामपाल, श्री बृजलाल खाबरी, श्रीमती कौशल्या देवी वर्मा, डॉ0 जयश्री पुरवार, डॉ0 रेनू चन्द्रा एवं कार्यक्रम के संचालक श्री युद्धवीर कंथरिया थे।

(मंचासीन अतिथि)
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कार्यक्रम में प्रो0 जी0आर0आटले, अयोध्याप्रसाद कुमुद, सत्यपाल शर्मा, यूसुफ इश्तियाक, मिर्जा साबिर बेग, डॉ0 आर0के0 पहारिया, डॉ0 राजेश पालीवाल, डॉ0 अतुल बुधौलिया, डॉ0 ममता स्वर्णकार, डॉ0 नीता गुप्ता, प्रकाशवीर तिवारी, रणविजय सिंह, हरेन्द्र विक्रम सिंह, डॉ0 नईम बॉबी, राशिद, लक्ष्मण चौरसिया, डॉ0 लखनलाल पाल, सुरजीत सिंह, रविकान्त, सुभाष चन्द्रा, कल्पना द्विवेदी, सीता खरे, ब्रजबिहारी गुप्ता, लक्ष्मणदास बबानी, महेन्द्र दाऊ, शशिकान्त द्विवेदी, ब्रजभूषण सिंह मुन्नू, यज्ञदत्त त्रिपाठी आदि सहित सैकड़ों सदस्य उपस्थित थे।

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(सुरुचि भोज का आनंद लेते सदस्य और अतिथि)
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सतत जागरूकता लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक - डॉ0 आदित्य कुमार

लोकतान्त्रिक व्यवस्था और पर्यावरण पर विचार गोष्ठी
दिनांक - 14-03-2010 स्थान - जालौन
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‘‘लोकतान्त्रिक व्यवस्था किसी भी देश, समाज के सफल संचालन के लिए आवश्यक होती है। इस व्यवस्था में जन-जन को अपनी विचारभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता होने के साथ-साथ शासन-सत्ता के कार्यों का आकलन करने की भी क्षमता होती है। लोकतान्त्रिक प्रणाली के सफल संचालन के लिए आवश्यक है कि किसी भी देश अथवा समाज के नागरिक अपने आपको पूर्णतः जागरूक बनाये रखें।’’ ये विचार सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय, गुढ़ा, जालौन में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 आदित्य कुमार, अध्यक्ष राजनीतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई ने व्यक्त किये। उ0प्र0 राजनीतिविज्ञान परिषद् के प्रदेश अध्यक्ष डॉ0 आदित्य कुमार ने ‘भारत में लोकतान्त्रिक व्यवस्था’ विषय के अन्तर्गत संविधान, लोकतन्त्र आदि की जानकारी देते हुए कहा कि आजादी के बाद देश को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए ही एक संवैधानिक व्यवस्था का निर्माण किया गया था, उसी व्यवस्था के आधार पर सरकार का, सत्ता का संचालन होता है। लोकतान्त्रिक प्रणाली सभी को समान अवसर देते हुए सभी के विचारों का सम्मान करती है। इस संवैधानिक का दुरुपयोग होने के कारण वर्तमान में युवा पीढ़ी राजनीति को स्वार्थपूर्ति और धन-बल, बाहु-बल के रूप में स्वीकारने लगी है, जो गलत है। डॉ0 आदित्य कुमार ने संविधान में वर्णित नागरिकों के मूल कर्तव्यों को, मौलिक अधिकारों को समझाते हुए कहा कि अधिकार और कर्तव्य हमें कार्य करने की स्वतन्त्रता तो देते ही हैं साथ ही देशहित में कार्य करने के प्रति भी जागरूक करते हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के नागरिक होने के नाते हमारा भी दायित्व बनता है कि हम समूचे विश्व के सामने अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था को विफल होने से बचायें। उन्होंने छात्र-छात्राओं से संवैधानिक जागरूकता सम्बन्धी जानकारियों का आदान-प्रदान कर उनके सविधान सम्बन्धी ज्ञान को और विस्तार दिया।
गोष्ठी के दूसरे सत्र में ‘पर्यावरण में युवाओं की भूमिका’ विषय पर वनस्पतिविज्ञान विभाग, डी0वी0 कालेज, उरई के डॉ0 आर0 के0 पहारिया ने कहा कि भौतिकतावादी संस्कृति का पोषण करने के कारण हम अपन आसपास के वातावरण को जाने अनजाने खतरे में डाल रहे हैं। हमें इस बात की जानकारी भी होती है कि हमारा एक गलत कदम हमारे पर्यावरण को संकट में डाल सकता है, इसके बाद भी हम स्वयं को इससे रोकते नहीं हैं। छात्र-छात्राओं को पर्यावरण की आवश्यकता के बारे में बताते हुए डॉ0 पहारिया ने आगे बताया कि आज हम देख रहे हैं कि मौसम में एकाएक परिवर्तन आने लगते हैं। गरमी, सरदी और बारिश अब अनियमित होने लगी है। इसका प्रभाव कृषि पर, हमारे खाद्य पदार्थों पर तो पड़ ही रहा है, साथ ही मनुष्यों और जानवरों पर भी इसका प्रभाव नकारात्मक रूप से पड़ रहा है। हमारा प्रयास यह होना चाहिए कि हम अपने घरों में, आसपास में हरे-भरे पेड़-पौधों को लगायें और उनका संरक्षण करें।
इस गोष्ठी में डॉ0 आदित्य कुमार ने पर्यावरण जागरूकता को लेकर एक प्रस्ताव रखा जिसे सभी ने ध्वनिमत से समर्थन प्रदान किया। उनका कहना था कि हम किसी भी कार्यक्रम में, किसी भी उत्सव में उपहार में एक पौधा लगा हुआ गमला देने की परम्परा को शुरू करें। इससे लोगों में पेड़-पौधों के प्रति लगाव बढ़ेगा और उसकी देखभाल के प्रति भी लोग जागरूक होंगे।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय के प्राचार्य डा0 अभयकरन सक्सेना ने कहा कि आज का समय किसी एक विषय पर अटके रहने का नहीं है। हमारा प्रयास हो कि हम अपने आसपास की दैनिक गतिविधियों पर भी ध्यान रखें। किसी भी व्यक्ति के विकास के लिए जितना आवश्यक पर्यावरण का स्वच्छ रहना है उतना ही आवयक है कि राजनैतिक वातावरण भी स्वच्छ रहे। इन दोनों की स्वच्छता के लिए हमारा जागरूक होना आवश्यक है। हमें ध्यान रखना चाहिए कि हमारा कोई कदम इन दोनों क्षेत्रों में से किसी भी क्षेत्र को हानि न पहुँचाये।
सेठ वीरेन्द्र कुमार महाविद्यालय की प्रबन्धकारिणी के अध्यक्ष और आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री नितिन मित्तल ने कहा कि यह बहुत ही सुखद संयोग है कि आज दो-दो महत्वपूर्ण विषयों पर हमारे छात्र-छात्राओं को तथा हम सभी को जानकारी मिली। ज्ञान-विज्ञान के वर्तमान युग में हमें अपने अधिकारों की, कर्तव्यों की जानकारी अवश्य ही होनी चाहिए। यह सभी को ज्ञात होना चाहिए कि संविधान ने हमें कौन-कौन सी सुविधाएँ प्रदान कर रखीं हैं, हम कैसे अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग करें। साथ ही हमारा प्रयास होना चाहिए कि हमारे किसी भी कदम से पर्यावरण को संकट न पहुँचे। कार्यक्रम के अन्त में अध्यक्ष नितिन मित्तल ने डॉ0 आदित्य कुमार तथा डॉ0 आर0के0 पहारिया को स्मृति भेंट देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापकों में अनुज श्रीवास्तव-उप-प्रधानाचार्य, डा0 गणेशानन्द, डा0 सीता जड़िया, डा0 राकेश पाठक, प्रो0 अवनीश द्विवेदी, श्रीकृष्ण कोष्ठा, प्रियंका अग्रवाल, प्रिया अग्रवाल, स्वाति कौशल, अपर्णा सक्सेना, सौरभ गुप्ता, आचार्यजी, अरविन्द द्विवेदी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन योगेश सिंह ने किया।