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“साहित्यकारों का सम्मान जिस समाज
में किया जाता है उस समाज में सदैव नैतिक मूल्य जिंदा रहते हैं. नैतिकता,
संस्कारों की स्थापना में साहित्यकारों का, सुयोग्य व्यक्तियों का अमूल्य योगदान
सदैव से रहा है और इसी कारण समाज में भले ही कितनी बुराइयाँ रही हों किन्तु हर
बार अच्छाइयों की विजय ही हुई है.
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समारोह का शुभारम्भ करते
अनुज विजय एवं अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह जी
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श्रद्धेय विजयपाल सिंह भदौरिया
साहित्य की व्यापक समझ रखने के साथ-साथ प्रखर मेधा और सकारात्मक व्यक्तित्व के
धनी थे, उनकी कमी समाज को हमेशा महसूस होती रहेगी.”
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मंचासीन
अतिथि एवं कविगण
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उक्त विचार श्रद्धेय कीर्तिशेष
विजयपाल सिंह भदौरिया (पूर्व प्रधानाचार्य, राजमाता वैस्नी जू देव इंटर कॉलेज,
जगम्मनपुर) की स्मृति में आयोजित ‘काव्यांजलि एवं विजय श्री सारस्वत सम्मान
समारोह’ में जिला विद्यालय निरीक्षक विधि नारायण ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त
किये.
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विजय
श्री सारस्वत सम्मान स्वीकारते
नासिर
अली नदीम
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उन्होंने कहा कि श्री भदौरिया जी
शिक्षक हितों के लिए सदैव आगे आते रहे, उनके विरुद्ध होने वाले किसी भी कदम का खुलकर
विरोध करते रहे किन्तु उसमें भी एक तरह की मर्यादा बनी रहती थी. इसके पीछे उनका
साहित्यिक हृदय होना रहा है.
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अनुज
विजय कवि रविशंकर मिश्र जी को सम्मानित करते हुए
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इससे पूर्व समारोह का शुभारम्भ मुख्य
अतिथि विधि नारायण कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ समाजवादी नेता इन्द्रजीत सिंह यादव
ने दीप प्रज्ज्वलित करके और माँ सरस्वती तथा स्व० विजयपाल सिंह भदौरिया के चित्र
पर माल्यार्पण के द्वारा किया.
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कवि
कुमार गुप्त जी का सम्मान
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समारोह में श्री भदौरिया के पुत्र
युवा साहित्यकार डॉ० अनुज ‘विजय’ भदौरिया तथा उनके परिवार की तरफ से स्व०
विजयपाल सिंह भदौरिया की स्मृति में ‘विजय श्री सारस्वत सम्मान’ का आरम्भ किया
गया.
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कवि
डालचंद्र अनुरागी जी का सम्मान
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प्रथम सारस्वत सम्मान जनपद के वरिष्ठ
शायर नासिर अली ‘नदीम’ को प्रदान किया गया. नदीम जी को अतिथियों, अनुज ‘विजय’
तथा परिवारजनों के द्वारा अंगवस्त्र, सम्मान-पत्र के साथ एक हजार एक रुपये की
सम्मान राशि प्रदान कर उनके सुखमय भविष्य की कामना की गई.
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कवि
संतोष दीक्षित जी का सम्मान
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नासिर अली ‘नदीम’ के अतिरिक्त जनपद
के अन्य कवियों, साहित्यकारों - यज्ञदत्त त्रिपाठी, परमात्मा शरण शुक्ल ‘गीतेश’
डॉ रामस्वरूप खरे, रविशंकर मिश्र, योगेश्वरी प्रसाद ‘अलि’, विनोद गौतम, सुरेश
चन्द्र दीक्षित, डालचंद्र अनुरागी, वीरेंद्र सिंह परमार, कुमार गुप्त - का
सम्मान अंगवस्त्र, सम्मान-पत्र के द्वारा किया गया.
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गीतकार
परमात्माशरण शुक्ल ‘गीतेश’ जी का सम्मान
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इन समस्त कवियों ने अपनी-अपनी एक प्रतिनिधि
काव्य रचना के द्वारा विजयपाल सिंह भदौरिया को श्रद्धांजलि दी.
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कवि
वीरेंद्र परमार जी का सम्मान
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समारोह में स्व० विजयपाल सिंह के
व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी चर्चा हुई साथ ही उनके सहयोगी रहे सभ्रांत
नागरिकों ने अपने अनुभवों को सबके साथ साझा किया. इसमें हरनारायण पाल, राम सिंह,
विनोद कुमार श्रीवास्तव, लाल सिंह चौहान, राजेन्द्रनाथ शुक्ल जी, कुमारेन्द्र
सिंह सेंगर प्रमुख रहे.
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कवि
योगेश्वरी प्रसाद ‘अलि’ जी का सम्मान
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श्री विजयपाल सिंह जी के छोटे भाई ने
अपनी काव्य रचना के द्वारा उनके समग्र जीवन पर प्रकाश डाला तथा उनके पुत्र डॉ
अनुज ने श्री भदौरिया जी की एक कविता का पाठ करके उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.
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मुख्य
अतिथि विधि नारायण जी का सम्मान
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कार्यक्रम अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह
यादव ने कहा कि “किसी भी व्यक्ति को समाज के मध्य जीवित रखने में उसके कार्यों
का महती योगदान रहता है. श्री भदौरिया जी के कार्यों ने उन्हें हम सभी के बीच
जीवित रखा है और इसे और सुदृढ़ करने का कार्य उनके पुत्र ने, उनके परिवार वालों
ने इस सारस्वत सम्मान की शुरुआत करके किया है. यही भदौरिया जी को वास्तविक
श्रद्धांजलि है.”
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अध्यक्ष
इन्द्रजीत सिंह जी का सम्मान
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सम्मान समारोह एवं काव्यांजलि में श्री
भदौरिया की धर्मपत्नी, उनकी पुत्री अर्चना, दामाद प्रमोद, पुत्रवधू स्मिता, नाती
अविजित, नातिन श्रेया सहित
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कविता
प्रस्तुत करते कीर्तिशेष विजयपाल सिंह भदौरिया के छोटे भाई
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डॉ रामशंकर द्विवेदी, डॉ आदित्य
कुमार, अमरपाल सिंह, राघवेन्द्र सिंह, रिपुदमन सिंह,
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अपने
पिता कीर्तिशेष विजयपाल सिंह भदौरिया जी की कविता का पाठ करते अनुज विजय
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कैलाश पाठक, सुधीर अवस्थी, रेहान
सिद्दीकी, डॉ शैलेन्द्र गुप्ता, डॉ अनिल श्रीवास्तव, डॉ विजय कुमार यादव, हेम
प्रधान, अखिलेन्द्र,
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उपस्थित
गणमान्य नागरिक
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डॉ प्रवीण सिंह जादौन, प्रवीण
पाण्डेय, डॉ लखन लाल पाल, सलिल तिवारी, रोहित विनायक आदि सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.
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उपस्थित
गणमान्य नागरिक
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समारोह का सञ्चालन योगेश्वरी प्रसाद
‘अलि’ ने किया और आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त डॉ अनुज विजय ने किया.
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