भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ’ पर गोष्ठी



रक्षा अध्ययन विभाग में ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संभावनाएँ एवं चुनौतियाँ’ पर सामूहिक चर्च
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उरई (09-जनवरी-2014)रक्षा अध्ययन परिषद् के तात्वाधन में ‘मंथन’बैनर के अंतर्गत जो रक्षा अध्ययन परिषद् की समसामयिक विषयों एवं समस्यायों पर समूह चर्चा का मंच है | ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संभावनाए एवं चुनौतिया’पर कार्यक्रम सम्पन्नहुआ | 

बाएं से .. डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, डॉ० राजेन्द्र कुमार निगम


बाएं से .. डॉ० आदित्य कुमार, डॉ० राकेश नारायण द्विवेदी

बाएं से.. डॉ० आदित्य कुमार, डॉ० राकेश नारायण द्विवेदी, दीनदयाल 'काका'
  इस कार्यक्रम में बी०ए०/बी०एस०सी० के छात्र-छात्राओ ने समाज में भ्रष्टाचार मुक्त भारत की संभावनाओ पर चर्चा एवं समाधान पर अपने विचार रखे जिसमे उपासना परिहार, समीक्षा नायक,दिव्या कौशल एवं दिलीप कुमार के विचारो को सभी ने सराहा |


 
मुख्य वक्ता के रूप में डॉ० राकेश नारायण द्विवेदी, प्रवक्ता, हिंदी विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई, ने कहा कि भ्रष्टाचार को पूंजीवादी की बुराई माना जाता है किन्तु अमेरिकन, यूरोपीयन देशो में भ्रष्टाचार कम है | इसके अतिरिक्त जनजागरुकता के द्वारा, कानून की जानकारी से इसे रोका जा सकता है | इसके लिए अशिक्षा, गरीबी आदि को मिटाना होगा | 
डॉ० राकेश नारायण द्विवेदी
 दीनदयाल उपाध्याय “काका”, जिला संयोजक,’आम आदमी पार्टी’ ने बताया कि भ्रष्टाचार बढाने में हम लोग स्वयं भी थोड़े बहुत आरोपी लगते है | हम अपनी मानसिकता को इस प्रकार का बना चुके है कि बिना पैसे दिए कुछ काम नही हो सकता | इसी मानसिकता का लाभ उठाकर ही अधिकारी-कर्मचारी रिश्वत आदि की मांग कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते है | 
दीन दयाल 'काका'
 प्रमुखवक्ता के रूप में डॉ० आदित्य कुमार, विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान, डी०वी० कालेज, उरई ने कहा कि भ्रष्टाचार को बढ़ाने में प्रशासनिक राजनीतिक मशीनरी सहायक है | यदि हमारी यही मशीनरी सही हो जाये तो व्यक्ति भी अपना आचरण सही कर लेगा और समय के साथ धीरे-धीरे भ्रष्टाचार को कम करने में समाप्त करने में मदद मिलेगी | 
डॉ० आदित्य कुमार
 डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, प्रवक्ता, हिंदी विभाग, गाँधी महाविद्यालय, उरई ने कहा कि भ्रष्टाचार को स्वयं को ईमानदार बनाकर अपने को नैतिकता का पालन करवा कर रोका जा सकता है | हमारे क्रियाकलापों में यदि ईमानदार है तो संभव है कि हमारा कार्य कुछ बिलम्ब से हो पर उसे पूरा से कोई नही रोक सकता है | 
डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
 डॉ० आर०के० निगम ने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने में युवाओ एवं शिक्षित वर्ग को आंगे बढ़ाना होगा |  डॉ० डी० के० सिंह ने कहा कि जिस तरह से आज आम आदमी जागरूक हो रहा है, उसके बाद भ्रष्ट लोगों को भी भय सताने लगा है. ये निश्चित ही प्रसन्नता का विषय है. 
डॉ० डी० के० सिंह
कार्यक्रम का संचालन अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह ने किया |इस अवसर पर उपाध्यक्ष शिवम् सोहाने, उस्मान बेग, स्वीटी, उपासना कुशवाहा, प्रीति तिवारी, सत्येन्द्र, अंजली चिरवारिया  आदि छात्र-छात्राए मौजूद रहे |

ताहिरा बानो को 'प्रखर बुद्धि सम्मान' प्राप्त



बुन्देलखण्ड के जनपद जालौन में ग्रामीण अंचल में तीन बालिकाएँ शिक्षा के प्रति जागरूकता दिखाए हुए हैं. इन तीन बालिकाओं को आगे बढ़ने में उनके माता-पिता का भरपूर योगदान है. जनपद के सुदूर इलाके में अजीतापुर नामक इस ग्राम में अधिसंख्यक मुस्लिम आबादी है. इस गाँव में ताहिरा बानो, नूर सबा और अफसर जहाँ नाम की तीन बालिकाएँ हैं  स्थानीय केशव देव महाविद्यालय, गोहन में स्नातक की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. इन बालिकाओं का स्नातक स्तर पर शिक्षा प्राप्त करना आश्चर्यचकित करने वाला नहीं है बल्कि आश्चर्य में ये बात डालती है कि इस गाँव में यही तीन बालिकाएँ हैं जो स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं. 
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गोहन स्थित केशव देव तिवारी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ० राकेश द्विवेदी प्रतिवर्ष अपने पूज्य पिता डॉ० दिनेश चन्द्र द्विवेदी जी की स्मृति में ‘प्रखर बुद्धि सम्मान’ प्रदान करते हैं. ये सम्मान महाविद्यालय के सर्वोच्च अंक प्रापक को प्रदान किया जाता है. डॉ० दिनेश चन्द्र द्विवेदी गाँधी महाविद्यालय, उरई में हिन्दी विभागाध्यक्ष के साथ-साथ प्रख्यात साहित्यकार, समाजसेवक, राजनीतिक व्यक्तित्व रहे हैं. इस वर्ष (२०१३) का ‘प्रखर बुद्धि सम्मान’ अजीतापुर की ताहिरा बानो को प्रदान किया गया. 

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सम्मान समारोह के अवसर पर ताहिरा के माता-पिता ‘इन्ताज़ बेगम-अब्दुल समद’ को भी सम्मानित किया गया. उन्होंने बताया कि गाँव के लोगों ने उनके परिवार पर इस बात का बहुत दवाब डाला कि वे अपनी बेटी ताहिरा की शिक्षा बंद कर उसका निकाह कर दें. इन दोनों ने समूचे गाँव का विरोध सहकर अपनी बेटी के साथ-साथ अपने रिश्तेदार की दो अन्य बेटियों नूर सबा, अफसर जहाँ को पढ़ने में सहायता प्रदान की. 
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ये तीनों बेटियाँ भी पूरी लगन के साथ शिक्षा ग्रहण कर रही हैं और उच्च स्थान प्राप्त कर रही हैं. अवश्य ही इनको सम्मानित किये जाने से गाँव की, आसपास की अन्य बालिकाएँ भी प्रेरणा ग्रहण करेंगी. इनके माता-पिता के साहस से भी अन्य माता-पिता प्रोत्साहित होकर अपनी बेटियों को शिक्षित बनाने का प्रयास करेंगे. 
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ऐतिहासिक माहिल तालाब में गंदगी का अम्बार



उरई शहर का ऐतिहासिक माहिल तालाब आज अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा है. उरई नरेश माहिल द्वारा लगभग दो कोस में बनवाया गया ये तालाब आज महज एक हेक्टेयर से भी कम क्षेत्रफल में सिमटकर रह गया है. वर्ष २००० में कुछ जागरूक समाजसेवियों और प्रशासनिक अधिकारियों की सक्रियता से इस तालाब के दिन बहुरे थे. आसपास बने मकानों, दुकानों का गन्दा पानी इसमें गिरने से रोका गया और इसी के साथ लगे मंदिरों के तथा शहर के श्रद्धालुओं को इसमें पूजन-सामग्री विसर्जन से रोका गया था. तालाब के किनारे-किनारे बनी पक्की सड़क और हरियाली के कारण यहाँ घूमने वालों की, स्वास्थ्य लाभ लेने वालों का आना लगा रहा. 

माहिल तालाब में बना बुर्ज...दो स्थितियाँ




ये है गंदगी का आलम : माहिल तालाब
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इधर न तो प्रशासन द्वारा तालाब की सफाई की तरफ ध्यान दिया जा रहा है और न ही उस समिति के सदस्यों द्वारा जो किसी समय तालाब की सफाई, उसकी देखभाल के लिए बनाई गई थी. हालत ये है कि आसपास के मकानों, दुकानों का गन्दा पानी इसमें फिर से बहाया जाने लगा है; राहगीरों, दुकानदारों द्वारा मूत्र-विसर्जन करके भी इसे गन्दा किया जा रहा है; श्रद्धालुजन पूजन-सामग्री का विसर्जन करके भी इसे और गन्दा कर रहे हैं. तालाब के पानी की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण इसमें भरा पानी भीषण गरमी पड़ने पर ही सूखता है. हाल की जबरदस्त बारिश से भरे तालाब का जलस्तर इसमें गिरते गंदे जल के कारण लगातार बढ़ता जा रहा है. अब आलम ये है कि तालाब के मध्य में बना बुर्ज, जो एक छोटे से पुल के माध्यम से जुड़ा हुआ था, आज पूरी तरह से डूब चुका है. 

माहिल तालाब के आसपास बने मंदिर, दुकान, मकान




माहिल तालाब में फेंकी गई गंदगी, पॉलीथीन
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प्रशासन द्वारा, नगर पालिका द्वारा तालाब की सफाई के लगातार आश्वासन दिए जाते रहे; इस ऐतिहासिक स्थल को पिकनिक स्पॉट के रूप में सजाने के सपने नगरवासियों को दिखाए जाते रहे; म्यूजिकल फाउंटेन लगाने के सब्जबाग भी दिखाए जाते रहे; कुछ मीडियाप्रेमी सामाजिक संगठन और सामाजिक नागरिकों द्वारा यदाकदा फोटो खिंचवाने, खबर बनवाने के लिए श्रमदान का ड्रामा भी किया जाता रहा किन्तु तालाब की देखभाल का स्थायी समाधान नहीं निकला गया. आज स्थिति ये है कि तालाब का पानी पूरी तरह से बदबूदार हो गया है; आसपास घास बुरी तरह से उग आई है; पक्की सड़क टूटी-उखड़ी है; रंगीन मछलियाँ मर चुकी हैं; बत्तखें कहीं भटक गईं है और तालाब फिर किसी इलाज के इंतज़ार में है. यहाँ दोष सिर्फ प्रशासन का नहीं है, दोष नगर पालिका का नहीं है; दोष सिर्फ उस समिति का नहीं है, दोष सामाजिक संगठनों का नहीं है दोष नागरिकों का भी है जो अपने शहर की ऐतिहासिक धरोहर को गंदगी, अपशिष्ट, मल-मूत्र, कचरे, पॉलीथीन, पूजन-सामग्री के द्वारा स्वयं नष्ट करने में लगे हुए हैं. 
@ जय बुन्देलखण्ड (04-11-2013)

विजय श्री सारस्वत सम्मान समारोह संपन्न


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“साहित्यकारों का सम्मान जिस समाज में किया जाता है उस समाज में सदैव नैतिक मूल्य जिंदा रहते हैं. नैतिकता, संस्कारों की स्थापना में साहित्यकारों का, सुयोग्य व्यक्तियों का अमूल्य योगदान सदैव से रहा है और इसी कारण समाज में भले ही कितनी बुराइयाँ रही हों किन्तु हर बार अच्छाइयों की विजय ही हुई है.
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समारोह का शुभारम्भ करते अनुज विजय एवं अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह जी



श्रद्धेय विजयपाल सिंह भदौरिया साहित्य की व्यापक समझ रखने के साथ-साथ प्रखर मेधा और सकारात्मक व्यक्तित्व के धनी थे, उनकी कमी समाज को हमेशा महसूस होती रहेगी.”
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मंचासीन अतिथि एवं कविगण

उक्त विचार श्रद्धेय कीर्तिशेष विजयपाल सिंह भदौरिया (पूर्व प्रधानाचार्य, राजमाता वैस्नी जू देव इंटर कॉलेज, जगम्मनपुर) की स्मृति में आयोजित ‘काव्यांजलि एवं विजय श्री सारस्वत सम्मान समारोह’ में जिला विद्यालय निरीक्षक विधि नारायण ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये.
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विजय श्री सारस्वत सम्मान स्वीकारते
नासिर अली नदीम


उन्होंने कहा कि श्री भदौरिया जी शिक्षक हितों के लिए सदैव आगे आते रहे, उनके विरुद्ध होने वाले किसी भी कदम का खुलकर विरोध करते रहे किन्तु उसमें भी एक तरह की मर्यादा बनी रहती थी. इसके पीछे उनका साहित्यिक हृदय होना रहा है.
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अनुज विजय कवि रविशंकर मिश्र जी को सम्मानित करते हुए


इससे पूर्व समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि विधि नारायण कार्यक्रम अध्यक्ष वरिष्ठ समाजवादी नेता इन्द्रजीत सिंह यादव ने दीप प्रज्ज्वलित करके और माँ सरस्वती तथा स्व० विजयपाल सिंह भदौरिया के चित्र पर माल्यार्पण के द्वारा किया.
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कवि कुमार गुप्त जी का सम्मान


समारोह में श्री भदौरिया के पुत्र युवा साहित्यकार डॉ० अनुज ‘विजय’ भदौरिया तथा उनके परिवार की तरफ से स्व० विजयपाल सिंह भदौरिया की स्मृति में ‘विजय श्री सारस्वत सम्मान’ का आरम्भ किया गया.
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कवि डालचंद्र अनुरागी जी का सम्मान

प्रथम सारस्वत सम्मान जनपद के वरिष्ठ शायर नासिर अली ‘नदीम’ को प्रदान किया गया. नदीम जी को अतिथियों, अनुज ‘विजय’ तथा परिवारजनों के द्वारा अंगवस्त्र, सम्मान-पत्र के साथ एक हजार एक रुपये की सम्मान राशि प्रदान कर उनके सुखमय भविष्य की कामना की गई.
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कवि संतोष दीक्षित  जी का सम्मान

नासिर अली ‘नदीम’ के अतिरिक्त जनपद के अन्य कवियों, साहित्यकारों - यज्ञदत्त त्रिपाठी, परमात्मा शरण शुक्ल ‘गीतेश’ डॉ रामस्वरूप खरे, रविशंकर मिश्र, योगेश्वरी प्रसाद ‘अलि’, विनोद गौतम, सुरेश चन्द्र दीक्षित, डालचंद्र अनुरागी, वीरेंद्र सिंह परमार, कुमार गुप्त - का सम्मान अंगवस्त्र, सम्मान-पत्र के द्वारा किया गया.
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गीतकार परमात्माशरण शुक्ल ‘गीतेश’ जी का सम्मान



इन समस्त कवियों ने अपनी-अपनी एक प्रतिनिधि काव्य रचना के द्वारा विजयपाल सिंह भदौरिया को श्रद्धांजलि दी.
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कवि वीरेंद्र परमार जी का सम्मान

समारोह में स्व० विजयपाल सिंह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर भी चर्चा हुई साथ ही उनके सहयोगी रहे सभ्रांत नागरिकों ने अपने अनुभवों को सबके साथ साझा किया. इसमें हरनारायण पाल, राम सिंह, विनोद कुमार श्रीवास्तव, लाल सिंह चौहान, राजेन्द्रनाथ शुक्ल जी, कुमारेन्द्र सिंह सेंगर प्रमुख रहे.
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कवि योगेश्वरी प्रसाद ‘अलि’ जी का सम्मान


श्री विजयपाल सिंह जी के छोटे भाई ने अपनी काव्य रचना के द्वारा उनके समग्र जीवन पर प्रकाश डाला तथा उनके पुत्र डॉ अनुज ने श्री भदौरिया जी की एक कविता का पाठ करके उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.
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मुख्य अतिथि विधि नारायण जी का सम्मान

कार्यक्रम अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह यादव ने कहा कि “किसी भी व्यक्ति को समाज के मध्य जीवित रखने में उसके कार्यों का महती योगदान रहता है. श्री भदौरिया जी के कार्यों ने उन्हें हम सभी के बीच जीवित रखा है और इसे और सुदृढ़ करने का कार्य उनके पुत्र ने, उनके परिवार वालों ने इस सारस्वत सम्मान की शुरुआत करके किया है. यही भदौरिया जी को वास्तविक श्रद्धांजलि है.”
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अध्यक्ष इन्द्रजीत सिंह जी का सम्मान


सम्मान समारोह एवं काव्यांजलि में श्री भदौरिया की धर्मपत्नी, उनकी पुत्री अर्चना, दामाद प्रमोद, पुत्रवधू स्मिता, नाती अविजित, नातिन श्रेया सहित
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कविता प्रस्तुत करते कीर्तिशेष विजयपाल सिंह भदौरिया के छोटे भाई



डॉ रामशंकर द्विवेदी, डॉ आदित्य कुमार, अमरपाल सिंह, राघवेन्द्र सिंह, रिपुदमन सिंह,
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अपने पिता कीर्तिशेष विजयपाल सिंह भदौरिया जी की कविता का पाठ करते अनुज विजय



कैलाश पाठक, सुधीर अवस्थी, रेहान सिद्दीकी, डॉ शैलेन्द्र गुप्ता, डॉ अनिल श्रीवास्तव, डॉ विजय कुमार यादव, हेम प्रधान, अखिलेन्द्र,
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उपस्थित गणमान्य नागरिक


डॉ प्रवीण सिंह जादौन, प्रवीण पाण्डेय, डॉ लखन लाल पाल, सलिल तिवारी, रोहित विनायक  आदि सहित शहर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.
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उपस्थित गणमान्य नागरिक



समारोह का सञ्चालन योगेश्वरी प्रसाद ‘अलि’ ने किया और आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त डॉ अनुज विजय ने किया.